फारूक अब्बास। बात 4 साल पुरानी है तब हमारे देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हुआ करते थे। उनके साथ एक समस्या थी कि बोलते कम थे लेकिन उनके अन्दर एक खूबी थी कि वे दूसरों को पूरा बोलने का मौका देते थे। उस समय विपक्ष (जो आज सत्ता पक्ष मे हैं) को ये राष्ट्र की सबसे बडी समस्या लगती थी कि प्रधानमंत्री बोलते नही हैं। उनका मजाक उडाने वाले अक्सर उन्हे मनमोहन की जगह मौन मोहन या मौनी बाबा कहकर सम्बोधित करते थे। उन पर चुटकुले बनते थे। सोशल मीडिया पर उनका मजाक उडाया था। लेकिन 2014 में सत्ता का तख्ता पलट हुआ और देश को ऐसा नरेन्द्र मोदी नाम के एक ऐसे प्रधानमंत्री मिले जो बोलते भी थे। लेकिन बाद में पता चला कि वो तो सिर्फ बोलते ही हैं और कब क्या बोल जाऐं इसका भी कोई अन्दाजा नही।
लेकिन अब देश की हालत ऐसी है कि सबको मनमोहन सिंह बनाया जा रहा है। किसी को भी बोलने की इजाजत नही हैं सिवाय प्रधानमंत्री के। इस देश में केवल प्रधानमंत्री, उनके मंत्री और उनके समर्थक ही बोलेंगे। इसके अलावा कोई और बोला तो वो वामी, कांगी, जेएनयू वाले, देशद्रोही, मुल्ले और पाकिस्तानी हो। अगर देश में रहना है तो चुप रहना सीख लो। अगर आप मनमोहन हैं तभी आप देशभक्त हैं अन्यथा आप देशद्रोही हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईं बाबा के बारे में तो आपने सुना ही होगा। अगर नही सुना तो हम बता देते हैं प्रोफेसर जीएन साईं बाबा विकलांग हैं और बिना व्हील चेयर के चल नही सकते। वे आदिवासियों की जमीन छीनने के लिये किये जाने सरकारी दमन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। सरकार को ये पसन्द नही आया कि कोई उसके खिलाफ बोले। इसलिये सरकार ने उन्हे नक्सली बना कर जेल में डाल दिया। निचली अदालत ने उन्हे विकास कार्य में बाधा डालने वाला बताकर उम्र कैद की सजा दे दी। ये सिर्फ यहीं तक सीमित नही था उनके मुकदमा लडने वाले वकील को भी पकड कर जेल में डाल दिया। इसके बाद उनकी रिहाई के लिये पत्रकार-वार्तां के लिये प्रेस क्लब बुक करवाने में मदद करने वाले पत्रकार विश्वदीपक सिंह के खिलाफ भी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी कर ली है। विश्वदीपक जज लोया प्रकरण पर भी काम कर रहे हैं और इस पर कई स्टोरीज भी लिख चुके। सरकार की इन पर पहले से नजर थी।
सरकार की आलोचना करना कोई गुनाह नही है लेकिन मौजूदा दौर में ये सबसे बडा गुनाह हैं। वर्तमान में ऐसी स्थिति है कि या तो आप सरकार से सन्तुष्ट हो या फिर देशद्रोही। इसे कुछ इस तरह कहें कि या तो आप भाजपा के समर्थक हो या फिर देशद्रोही तो बुरा नही होगा। अब तक सरकार की आलोचना करने वालों को सबक सिखाने, देशद्रोही मुल्ला साबित करनें के लिये संबित पात्रा, सोशल मीडिया पर दीपक शर्मा जैसे असली राष्ट्रभक्त और सोशल मीडिया पर एक्टिव आईटी सेल ही काफी थी लेकिन कब धीरे-धीरे सरकार भी इसी जमात में शामिल हो गई पता नही चला।
कुल मिला कर सरकार को वे लोग पसन्द हैं जो चुप रहते हैं। बिल्कुल मनमोहन जैसे। अगर आपने बोलने की हिमाकत की तो आपको देशद्रोही साबित करके जेल में डाल दिया जाऐगा।
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